Meri aawaj

Meri aawaj

Sunday, July 18, 2010

एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे

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एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे 
मस्त थे मद की मस्तानी में चूर थे 

खोये रहते थे  रात दिन किसी के ख्यालों में 
किसी की नशीली आँखों के नूर थे
एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे  
 
अब आँख खुली तो जाना प्यार क्या होता है 
वरना पहले तो  आँखों के होते हुए भी सूर थे 
एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे 
 
बहुत दूर था काफिला मेरा मंजिले मुहब्बत से 
प्यार तो छोडो प्यार की एक बूँद से भी दूर थे 
एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे 
 
अब नहीं रही शानो शौकत हमारी तो जाना है 
क्यों हम उनके लिए कभी कोयले में कोहनूर थे 
एक दिन वो था जब हम भी मशहूर थे 
 
नाम लेकर निकालते है  अब अपनी महफ़िल से
वो जिनके लिए हम कभी उनके प्यारे हुज़ूर थे 
एक दिन वोह थे जब हम भी मशहूर थे 
मस्त थे मद की मस्तानी में चूर थे 

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-अभिषेक   

Tuesday, July 13, 2010

हर दिन कुछ न कुछ खास होता है

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हर दिन कुछ न कुछ खास होता है,
कोई कभी दूर तो कभी दिल के पास होता है
मत हारना तुम कभी इन कठनाइयों से,
क्योंकि ग़मों में भी कुछ खुशियों का साथ होता है
हर दिन कुछ न कुछ खास होता है 

वक़्त तो मौसम की तरह है दोस्त,
तूँ क्यों इसकी मार से उदास होता है
संघर्ष करता है जो कठनाइयों से,
वही तो जिन्दगी की परीक्षा में पास होता है
हर दिन कुछ न कुछ खास होता है

कोई नहीं रहता उम्र भर किसी के साथ,
उजड़े हुए चमन में कहाँ परिंदों का वास होता है
चले जाते है लोग छोड़ कर ये भरी दुनिया,
मगर उनकी मीठी यादों का साया हमारे साथ होता है

हर दिन कुछ न कुछ खास होता है,
कोई कभी दूर तो कभी दिल के पास होता है
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-अभिषेक 

Friday, July 9, 2010

दूरियां

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इस
रंग रूप के मौसम में सब फीका-फीका लगता है
तुम दूर-दूर जो बैठे हो जग रूठा-रूठा लगता है

जब हाँथ पकड़ तुम चलते थे सब कुछ सतरंगी हो जाता था
अब साथ नहीं जो तुम मेरे सब फीका-फीका लगता है

जब याद तुम्हारी आती है मन मेरा भारी हो जाता है
कुछ याद नहीं रहता मुझको दिल टूटा-टूटा
लगता है


जब तुम थे मेरे पास तो जैसे दुनिया मेरी मुट्ठी में 
अब पास नहीं जो तुम मेरे सब छूटा-छूटा लगता है

जो तुम आजाओ पास मेरे दिल खिल जाये सब मिल जाये
ये सोच भी लेता हूँ तो सब कुछ पहले जैसा लगता है

इस रंग रूप के मौसम में सब फीका-फीका लगता है
तुम दूर-दूर जो बैठे हो जग रूठा-रूठा लगता है



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-अभिषेक