आज मैं आप लोगों को आज के युग के श्रंगार रस के कवि श्री शिव सागर शर्मा जी की कुछ रचनाएँ सुनाने जा रहा हूँ | मैं जब भी श्री शिव सागर जी को सुनता हूँ तो मुझे श्रंगार रस के श्रेष्ट कवि श्री बिहारी जी की स्मृति आती है जिन्हें में अपने स्कूल के दिनों में पड़ा करता था |
तो यहाँ हैं श्री शिव सागर जी की पहली रचना "ताजमहल" जो बहुत ही प्रसिद्ध हुई है :
वैसे तो कविता का एक एक शब्द मुझे पसंद है पर मेरी सबसे पसंदिता पंक्ति है "चांदनी रात में ताज के फर्श पर यूँ न टहलो ये मीनार हिल जाएगी "
एक और इनकी रचना जो मुझे बहुत पसंद है आपको सुनवाता हूँ "नैना कज़रा बिना कटार "
1 comment:
शर्मा जी रचनाएँ सुनकर आनन्द आ गया, आभार आपका.
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