============================
जब भी मिला वो हमने फासला रक्खा
यूँ जिंदगी से दुश्मनी का सिलसिला रक्खा
लडखडाये कदम जब जिंदगी की राह में
तुझको याद करके हौसला रक्खा
टूट कर टुकड़े-2 हो गया होता
तेरी यादों ने दिल को सिला रक्खा
मुद्दतों नहीं मिला मुझे वो मगर
ख्वाबों में आने-जाने का सिलसिला रक्खा
इन्तजार में तेरे सोए ना उम्र भर
मरने के बाद आखों को खुला रक्खा
-अभिषेक
============================
No comments:
Post a Comment