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बर्फ सी पिघल गई शाम मेरे सीने में
आज कागज़ पे, मेरे आँसुयों ने यूँ लिखा
गुनगुनाते ही वक़्त के होंठ थरथरा गए
मुद्दतो से घुटती हुई, ख्वाहिशो ने यूँ लिखा
चमकता सूरज भी आँखे छुपाने लगा
मेरी दिल की अँधेरी, आरजुओं ने यूँ लिखा
गुलशन का हर गुल गुमसुम सा हो गया
उजड़ी हुई दिल की, वादियों ने यूँ लिखा
-अभिषेक
=========================== बर्फ सी पिघल गई शाम मेरे सीने में
आज कागज़ पे, मेरे आँसुयों ने यूँ लिखा
गुनगुनाते ही वक़्त के होंठ थरथरा गए
मुद्दतो से घुटती हुई, ख्वाहिशो ने यूँ लिखा
चमकता सूरज भी आँखे छुपाने लगा
मेरी दिल की अँधेरी, आरजुओं ने यूँ लिखा
गुलशन का हर गुल गुमसुम सा हो गया
उजड़ी हुई दिल की, वादियों ने यूँ लिखा
-अभिषेक
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