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दिल ने मेरे मुझे कहा चलो कुछ लिखा जाये
नीर की स्याही बहुत है आज कुछ रचा जाये
चित्र जो बिखरे से है और कुछ धुँधले से है
बटोर कर उन सभी को आज फिर रंगा जाये
आरजुएँ जो टूटी मरोड़ी इर्द गिर्द मेरे पड़ी
जोड़ कर इनके सिरों को आज थोडा कसा जाये
तब पुराने अधजले से स्वप्न मुझको याद आये
हाँथ देखो कपकपाये कैसे इनको लिखा जाये
याद आये वादे सभी पुरे और कुछ आधे सभी
टीस तब दिल मै उठी कैसे इसको सहा जाये
आगया हूँ छोड़ कर उसके सपनो का महल
माँ मेरी बैठी हुई है लौट के कब लला आये
वक़्त है आजा अभी लौटके तूँ अपने घर
तेरी दुनिया है यहाँ तूँ जाने कहाँ-कहाँ जाये
भावनाएं घुल गई फिर मेरी सच्चाइयों मै
और ये रचना बनी है, क्या इसे अब कहा जाये
दिल ने मेरे मुझे कहा चलो कुछ लिखा जाये
नीर की स्याही बहुत है आज कुछ रचा जाये
-अभिषेक
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