Meri aawaj

Meri aawaj

Thursday, March 17, 2011

वो सूरज था सो डूब गया

ख्वाब जिनके मायने होते नहीं है 
आँख में हम अपनी पिरोते नहीं है

तूँ हुस्न का सैलाब है तो क्या हुआ 
हर सैलाब नाव को डुबोते नहीं है

वो सूरज था सो डूब गया शाम को
हम जुगनू है रात में सोते नहीं है

सूख कर पथरा गई है आँखे मेरी
मुद्दतों से अब हम रोते नहीं है

मिलते है वो हमसे ऐसे जैसे
उनके अब हम कुछ होते नहीं है

- अभिषेक
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