नज़रों से तेरी दूर है तो क्या हुआ
दिल में हरदम हम तेरे रहते तो है
होंठों ने तेरे जो कहा हमने न सुना
दिल ने दिल से जो कहा सुनते तो है
छाये है सावन के जो काले घने बादल
तेरी जुल्फ परेशां के कुछ टुकड़े तो है
जो रंग अपने प्यार के फैलाये है तुमने
वो रोज मेरी सांसों में घुलते तो है
यूँ तो हमारा मिलना एक हसीन ख्वाब है
पर ख्वाब ऐसे रोज हम बुनते तो है
-अभिषेक
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