Meri aawaj

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Sunday, May 22, 2011

नज़रों से तेरी दूर है तो क्या हुआ

नज़रों से तेरी दूर है तो क्या हुआ

दिल में हरदम हम तेरे रहते तो है

होंठों ने तेरे जो कहा हमने न सुना

दिल ने दिल से जो कहा सुनते तो है

छाये है सावन के जो काले घने बादल

तेरी जुल्फ परेशां के कुछ टुकड़े तो है

जो रंग अपने प्यार के फैलाये है तुमने

वो रोज मेरी सांसों में घुलते तो है

यूँ तो हमारा मिलना एक हसीन ख्वाब है

पर ख्वाब ऐसे रोज हम बुनते तो है

-अभिषेक

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1 comment:

Anonymous said...

बहुत खुबसूरत......अशआर.....शानदार अच्छा लगा पढ़ कर -

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