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ये लो फिर आ गए बेदर्द ज़माने वाले
बात-बात में मेरे दिल को दुखाने वाले
हर हाँथ मिलाने वाले पे भरोसा न करो
अक्सर दिल नहीं मिलाते हाँथ मिलाने वाले
रात बांकी है और होश भी बांकी है अभी
ये लो फिर आ गए बेदर्द ज़माने वाले
बात-बात में मेरे दिल को दुखाने वाले
-अभिषेक
===========================बात-बात में मेरे दिल को दुखाने वाले
हर हाँथ मिलाने वाले पे भरोसा न करो
अक्सर दिल नहीं मिलाते हाँथ मिलाने वाले
रात बांकी है और होश भी बांकी है अभी
अभी से कहाँ गए ये मै पिलाने वाले
हर रहनुमा पे तुम ऐतबार ना करना यारो
गुमराह भी कर देते है कुछ राह दिखाने वालेये लो फिर आ गए बेदर्द ज़माने वाले
बात-बात में मेरे दिल को दुखाने वाले
-अभिषेक
2 comments:
♥
प्रिय बंधुवर अभिषेक जी
सस्नेहाभिवादन !
नेट-भ्रमण करते-करते अचानक आपके यहां पहुंच कर अच्छा लगा…
आपकी रचनाओं में मन के भावों की ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति हुई है …
हर रहनुमा पे तुम ऐतबार ना करना यारो
गुमराह भी कर देते है कुछ राह दिखाने वाले
वाऽऽह ! बहुत ख़ूब !
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
aapne apne bare me likha par ye sab ke sath sach hai salam dear
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