धावक को चाहिए पसीना आँख में उतरे
पसीना आँख में जो उतरे तो खूँ होता है
कभी कभी का दौड़ना तो शौंक है यारो
जो निरन्तर दौड़ता है उसमें जुनूँ होता है
जब भी दौड़ता हूँ मैं तो महसूस होता है
तुझमें समाया मैं मुझमें बसा तूँ होता है
दौड़ने की लत भी तो इश्क़ से कम नहीं
कुछ दिन न दौड़ो तो दिल धूँ धूँ होता है
दौड़ने के बाद का मंजर न पूछो हमसे
माँ की गोद में हूँ कुछ ऐसा सुकूँ होता है
-अभिषेक खरे
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